Hindi Love Poem for Him-इंतज़ार

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इंतज़ार-आखिर कब तक?

अनजानी राहों पे इंतज़ार किया करती हूँ,
हज़ारों की भीड़ में बस तुझे तलाश किया करती हूँ,
कुछ पल के लिये तो ये राहें भी साथ देती हैं,
थोड़ा चलके साथ आगे तन्हा छोड़ देती हैं,
आंसू जब भी आते हैं मेरी आँखों में,
मेरी नज़रें बस तेरा दामन तलाश करती हैं,
जब नहीं मिलता है दामन तेरा,
जी भर के पलकें भिगोया करती हैं,
रास्ते भी ये देख के मुझपे हंसा करते हैं,
देखके मेरी बेबसी का ये मंज़र,
या खुदा मुझे अब मिलादे बिछड़ने वालों से,
लोग मेरी बेबसी का मज़ाक बनाने का इंतज़ार किया करते हैं|

-कविता परमार

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One thought on “Hindi Love Poem for Him-इंतज़ार

  1. KYA KRE IN KAJAL KA, NAJAR PDTE HI SB KO KHIC LATI HE

    AASU NIKL TE HI, SATH BEH JATI HE,
    JO KHIC LANE VALO KO BHI DUR LE JATI HE.

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