सपनों के सागर में एक लोटा डगमगाता है
आँखों के रास्ते वो बह कर आता है
आकाश के तारों को छूने की अभिलाषा है
वक़्त के साथ बदलाव लाने की आशा है
दिल के एक कोने में एक ज़िन्दगी लहराती है
जो बस बढती जाये वही तो यह बंदगी कहलाती है
मन के सितार में सुरों की जो माला है
क्या कहें कितने प्यार से बाँधा ये ताला है
किस कदर हैरत से गुज़रती है ये जिंदगानी
कभी है ठंडी बर्फ और कभी है तपता पानी
दुनिया की सर्कस में कुछ दिनों का ये खेला है
अभी जीलो सबके संग पर जाना अकेला है