हँसीनों में हँसीन सब से हँसी हो
ओ मेरी जान तुम मेरे दिल में बसी हो
खोलूँ जब आँखें तुम्हें देखना चाहूँ
जो बंद करूँ आँखें तुम्हें मन में देखूँ
वो मासूम चहरा वो प्यारी बातें
वो मीठी आवाज़ वो हँसी मुलाकातें
वो तुम्हारा पल पल मुझे याद करना
वो मेरा तुम्हें सोच ठंडी आहें भरना
तुम्हें चाहता हूँ
तुम्हें सोचता हूँ
तुम्हें पूजता हूँ
तुम्हें मांगता हूँ
तुम ही तो हो मेरे सपनों की रानी
तुम्हारे बिना फीकी है मेरी ज़िंदगानी
आओ मिलो अब ना करो अब देरी
तुम मेरी थी कल भी और आज भी हो मेरी
-अनुष्का सूरी
Nice yaar
मोहर साय
अति सुंदर रचना…….उत्तम प्रस्तुति:-) :-)!!!
nice..
very very very very nice…….
I ALWAYS LIKE AND I IMPRESSED WITH YOU.