
पता नहीं किसकी दुनिया में खो गया हूँ
प्यार की किस्ती में बैठ, साहिल की खोज में सो गया हूँ
ऐसी क्या कमी है मुझमे जिसे देख कोई प्यार करने से डरता है
उन्हें कोई ये समझाओ , “नादानी है ये उसकी जो ये हद से ज्यादा प्यार करता है । “
थक गया हूँ प्यार की तलाश में
ज़िंदगी से रुठ गया हूँ, महोब्बत की खराश में
कही ऐसे न हो प्यार से मेरा भरोसा उठ जाये
चलते चलते , मेरे हाथों नसीब का गला न घूट जाये
ऐ प्यार तुझे रब दा वास्ता कभी मेरी भी फ़िक्र कर लिया कर
जिससे मोहब्बत करू ,उसके दिल से जा कर मेरी थोड़ी ज़िकर भी कर लिया कर
हर पल धीरे धीरे मरने से अच्छा मुझे एक पल में साफ कर देना
उसके बाद हो सके तो , इस बदनसीब दिल को दिल से माफ़ कर देना
– निखल कुमार पटवारी