
मेरा रंग हुस्न का खिलता जाये,
तू ही मेरे दिल को भाये,
मुझ पे चढ़ी जवानी योवन छाये,
मैं हुई बावरी तेरी,
मैं हुई दीवानी तेरी,
ख़यालों में तेरे जब भी डूबूं,
तेरी ही बाहों में झूमूँ,
तितली के मैं साथ चलूँ,
और दिल में तेरे रहलूँ,
ये प्यार कैसे रंग सजाये,
मेरा रंग हुस्न का खिलता जाये,
तस्वीर तेरी मैं रोज़ बनाऊँ,
प्यार के रंगों से उसे सजाऊँ,
मैं गुस्सा होके उससे रूठूँ,
उससे ही मैं तो कह दूँ,
कैसे कैसे रोग लगाये,
ये प्यार कैसे रंग सजाये,
मेरा रंग हुस्न का खिलता जाये,
तू ही मेरे दिल को भाये.
-ट्रू लव
lovely poems
Jab dil dukhata h to ye poems hi kaam aati h, thanks for construction.
Achchhi rachna hai aage aur bhi likhte raho
Best of luck.
बहुत बढ़िया रचना,keep it going on
थैंक्स