रात भी ला रही है ओढ़ी हुई हंसी,
शाम से धुआँ धुआँ हो रही है हंसी,
तेरे पहलू में आके कुछ थम सी गयी है ये दुनिया मेरी,
शाम को भी ना पता था की रात भी ला रही है खुशी,
शाम से धुआँ धुआँ हो रही है हंसी,
चाँद से रात का हो रहा है मिलन,
चांदनी भी ओढ़े है कोई हया की शरम,
घूंघट में छुप के आ रही है रागिनी भी कहीं,
मुस्कुराते हुए मिल रही हो तुम भी तो कहीं,
रात भी ला रही है ओढ़ी हुई हंसी,
तेरी नज़रों ने मेरी नज़रों को दे दी है खुशी,
काजल तेरी आँखों का कुछ कह गया है अभी,
होंठों पे तेरे भी मुस्कान की छा गयी है हंसी,
रात भी ला रही है ओढ़ी हुई हंसी,
शाम से धुआँ धुआँ हो रही है हंसी.
-गौरव
Gaurav ji…..
Jab koi ladhki maan na rhi ho to usko kaise prupose kre aisi koi poetry daaliye na……..jisse wo maan jaaye…..meri kuch aisi hi problem hai…..plzzzz request hai aapse…..
Nice
Thanks ram.god bls u