Hindi Love Kavita -सोचता हूँ

सोचता हूँ कुछ लफ्ज़ कर दूँ तेरे नाम

मैं भी आज लिख दूँ क्यों न तुझे एक पैगाम

क्या कहूँ क्या लिखूँ बड़ी उलझन में हूँ मैं यहाँ

लफ्ज़ मिलते ही नहीं जो कर दें मेरा दर्दे-दिल बयाँ

फिर भी करने चला हूँ मैं मनचला कुछ गुज़ारिश

मेरे उपर भी करदे अपने कुछ रहमों करम की बारिश

ज़्यादा नहीं माँगता बस इतनी सी है मेरी चाह

तू मिल जाये मुझे हर मंज़िल हर राह

– गौरव

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