Hindi love poem on long distance love-दूरियाँ 

11
नहीं देखता उनके जिस्म की सुंदरता उनकी रूह में बस जाना चाहता हूँ
करके बेपनाह प्यार उन्हें उनके दिल से चुरा लेना चाहता हूँ
वो कहते हैं दूरियां हैं जिस्मों की हम कहते हैं बेपनाह प्यार है
भले ही दूर हैं तेरे जिस्म से पर तेरे हुस्न की सादगी के बहुत पास हैं
ना समझना ये प्यार है इस जन्म का ये प्यार तो है बरसों के एहसासों का
हर बार जन्म लेते हैं तुझे पाने के लिये पर कभी तुझे ना पा पते हैं
बस रूह मैं बसे रहते हैं तेरे उसी रूह के साथ फ़ना हो जाते हैं
कभी गम ना रहा की तुझे छू ना सके
हम तो फक्र से कहते हैं बिना छूए ही हम हर बार हर जन्म उनकी रूह में बस जाते हैं
-गौरव

Posted by

Official Publisher for poetry on hindilovepoems.com

2 thoughts on “Hindi love poem on long distance love-दूरियाँ 

Leave a Reply