दिल की नगरी में अब सुबह और शाम
बस गूंजता है एक तेरा ही नाम
सोचता हूँ वो लफ्ज़ कहाँ से ढूँढ लाऊँ
जिनमें तेरी तारीफ में मैं कुछ फ़रमाऊँ
उफ तेरी अदाओं के वो जानलेवा कहर
क्या बताऊँ क्या दिलों-जान पर करता है असर
तेरे ही दीदार को तरसती हैं ये निगाहें
तुझको क्या खबर किस कदर तुझे हम चाहें
– अनुष्का सूरी