
आती है वो हर रोज़ सज धजकर,
कभी ग्रीन-ब्ल्यू सूट तो कभी जीन्स टॉप पेहनकर,
मैं कभी बराबर में बैठता हूँ तो कभी उसके पीछे,
मेरा दिल रखता है उसकी यादों को सींचे,
मुझे देखकर मुस्कुराती है,
पर मुझे क्यों ऐसा लगता है
कि लड़कियाँ ऐसे ही बेवाकूफ बनाती हैं,
मेरा दिल धडकता है कई बार उसको देखकर,
क्यों कि रब ने बनाया है उसको बड़ा तराशकर,
वो शर्माती रहती है,
लेकिन जानता हूँ मुझसे प्यार् ज़रूर करती है,
मगर ना जाने ज़ुबान पर लाने से क्यों डरती है,
थोडी अनजान है इस प्यार् की दुनिया में
समझ जाएगी,
प्यार् की दुनियाँ जननत है
जान जायेगी,
जब पहली बार उसे देखा था ,
मैं तो उस पर मर मिटा था,
मेरा हर पल इसका गवाह है,
कि उससे बेशुमार मुहब्बत करता हूँ,
क्योंकि उसकी हर एक अदा को लाइक करता हूँ,
गुस्सा बहुत आता है,
जब मेट्रो स्टेशन पर मेल चेकिंग हो रही होती है,
और वो मेरा इंतज़ार करती रहती है,
जब मैं प्लेटफार्म पर पहुंचता हूँ,
तो उसकी ट्रेन जा रही होती है,
फिर पूरा दिन सेड जाता है,
वो क्लास में केमिस्ट्री को समझ रही होती है,
पर मैं उसके दिल की केमिस्ट्री को समझता रहता हूँ,
इतना भी खराब नहीं योगेश् मेरा नाम,
और क्या क्या बताऊँ अपने दिल का हाल…
-योगेश जमदाग्नी
thank you
wow
so nice poem friend it also suits on me .I liked this poem so much
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Thanks brother