तेरे चाहने वालों में अपना भी हो नाम
कितना अच्छा है
तेरे इश्क में आशिक हो जाये बदनाम
कितना अच्छा है
तेरे इश्क में अपनी खो जाये पहचान
कितना अच्छा है
तेरे इश्क में बीते अपनी सुबह और शाम
कितना अच्छा है
तेरे इश्क में अपना जो भी हो अंजाम
कितना अच्छा है
तेरे इश्क में अपनी जान भी हो कुर्बान
कितना अच्छा है
तेरे इश्क में भूला मैं तो सारा जहान
कितना अच्छा है
अब तू भी आजा हो जा मेहरबान
कितना अच्छा है