Hindi Love Poems| प्रेम कविता |Romantic Poems|Prem Kavita
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कभी किसी को इतना मत चाहना
कि वो तुम्हारी ज़िन्दगी बन जाये
मुश्किल होता है इस दुनिया में
जब किसी दिलदार के बिना जिया जाये
जब दिल कोई तोड़ता है
तो तकलीफ में दिल होता है
शीशा तो टूट कर बिखर जायेगा
दिल अगर टूट गया तो कौन संभल पायेगा
बाज़ार में तो हज़ारों हैं खरीददार
मगर दिल की कीमत कौन लगाएगा
दिल की कीमत तो वही दे पायेगा
जिसने कभी दिल किसी को दिया हो
जिसे इन अठारह सालों में नहीं किया
उस काम को आज करने की तमन्ना थी
जिस इज़हार से डर लगता है
उसे आज करना चाहती थी
ज़िन्दगी देने वाला कोई और है ये जानती हूँ
पर तुम्हारे साथ चंद खूबसूरत लम्हे जीना चाहती थी
जो प्यार आज तक किसी को नहीं दिया
वो कल तुम को देना चाहती थी
प्यार तो बहुत दिया दुनिया वालों ने
पर उस में वो एहसास कहाँ
तुम्हारे प्यार को महसूस करना चाहती थी
जिन लम्हों को सिर्फ सोचती आई हूँ
उनको हकीकत बनाना चाहती थी
ये जानते हुए भी कि तू मेरा नहीं हो सकता
एक बार तुम्हारे दिल को चुना चाहती थी
ज़िन्दगी भर का साथ मिले या न मिले
कुछ पल तो तेरे साथ जीना चाहती थी
कल की मेरी ये ख्वाहिश आज अधूरी रह गयी
फिर भी खुद से अहकृ बार कुछ मांगना हो
तो उसे नहीं उसकी खुशियां मांगती हूँ
आज तू मेरी किस्मत में नहीं
पर तेरी खुशियों में खुश होना शायद नसीब हो
चाँद जब धरती पर उतर आता है
तब कहाँ किसी से होश संभल पाता है
देखते हैं चाँद को प्यार से
प्यार से प्यार बढ़ता जाता है
चाँद की चांदनी करती है दिल को रौशन
रौशन रात रौशन चित्त रौशन मन
चाँद कहाँ ज़मीन पर टिक पता है
कुछ ही पलों में आकाश में चला जाता है
रह जाती हैं कुछ यादें कुछ पल
हमने जो बिताये थे चाँद के साथ कल
-अनुष्का सूरी
English Translation:
When the moon steps down on earth
At that moment, who is able to stay in his senses?
One looks at the moon with love
With love, love keeps multiplying
Moon’s moonlight makes one’s heart glow
Night glows, heart glows, mind glows
Moon is unable to stay on earth
In few seconds it vanishes into the sky
It leaves behind some memories, some moments
That we had spent with the moon yesterday.
-Anushka Suri
मैं और मेरी तन्हाई बैठे थे आज…
और हो रही थी मेरे प्यार की बात…
तन्हाई ने कहा कैसा प्यार है तेरा…
जो आज तक है उसने मुंह फेरा…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा क्या मिला तुझे प्यार में…
इस से अच्छा बैठा होता कही ऐशो बहारो में…
तन्हाई बोली क्या है अब पास में तेरे…
छा गए हैं बादल और गमों के अँधेरे…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा की प्यार में बहुत फरेब है धोखा है…
जा कुछ और कर प्यार के अलावा तुझे क्या किसी ने रोका है…
तन्हाई ने कहा क्या है ये प्यार का अजूबा…
जा, यार के वापिस आने की उम्मीद में मत रह डूबा…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा तेरा बिछड़ा यार नहीं आएगा…
मुझे लगता है तू कभी अपना प्यार नहीं पायेगा…
तन्हाई बोली अरे मूर्ख कुछ तो बोल…
मई इतनी देर से बक बक कर रही हूँ तू भी तो अपना मुंह खोल…
मैंने कहा बता कहाँ लिखा है की वो नहीं आएगी…
और अपने साथ प्यार की सौगात नहीं लाएगी…
कौन सी ऐसी दिवार है हमारे बीच जो खड़ी हो सकें…
ऐसी कोई दिवार नहीं बनी जिसकी नीव डलते ही हम उसे तोड़ न सकें…
कौन कहता है की उसका प्यार हो गया है पूरा…
क्यूंकि “प्यार” तो खुद शब्द ही ऐसा है जिसका पहला अक्षर है अधूरा…
कौन कहता है की प्यार सिर्फ दो जिस्मो का मिलान है…
माना वो मुझसे दूर है पर फिर भी मैं उसका और वो मेरी हमदम है…
अब बोल रहा था मई और चुप थी तन्हाई….
तभी सामने आई मेरी जान और भाग गयी तन्हाई…
-अनूप भंडारी