September 10, 2018.Reading time less than 1 minute.
बिछड़ी प्यार की धड़कने आँखों में नमी दे बन्द राहों की उलझनें जीने न दे वो खामोशियाँ भी इश्क़ को ही तलाशे कुछ अनकही सी ख्वाइशें दिल तो छुपा दे ये मोहोब्बत कैसा जो अंग अंग लुटा न दे…… -स्वेता Bichadi pyaar ki dhadkaney Aankhon mein nami de Bandh raahon ki uljhan Jeene na de […]
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June 22, 2018.Reading time 2 minutes.
आँखें जो खुली तो उन्हें अपने करीब पाया ना था कभी थे रूह में शामिल आज उनका साया ना था बेपनाह मोहब्बत की जिनसे उम्मीदें लिये बैठे थे उनसे तन्हाइयों की सौगातें मिलेंगी बताया ना था एक हम ही कसीदे हुस्न के हर बार पढ़ते रहे पर उसने तो कभी हाल-ए-दिल सुनाया ना था वो […]
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May 22, 2018.Reading time 2 minutes.
मैं तन्हा हूँ मुझे तन्हा ही रहने दो देखकर मेरे बहते आंसू तुम अपने लहू न बहने दो मैं आपका दीवाना हूँ मुझे बस अपना पागल रहने दो मिट गया जो सवेरा मेरा अब कैसे खोजूं घर मैं तेरा मुझे रोशनी से नफरत सी है ए मेरे दोस्त तुम मुझे अब चांदनी के काजल में […]
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May 2, 2018.Reading time 1 minute.
काश दिल की बात दिल में ही रह जाती तब ये दुनिया तेरे मेरे बीच ना आती तब ना होती ये दूरियां और ना ही कोई खामोशी बस तु अनजान होकर भी अनजाना ना होता तब अगर हो जाती मुलाकात तो मुस्कुराने का एक बहाना भी होता ख्यालों में ही सही पर तेरे पास होने […]
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April 16, 2018.Reading time 2 minutes.
हाँ मचला था कुछ पल को दिल फिर सो गया आज उससे फिर मिल भी लिये तो क्या हो गया मोहब्बत की राहों में हर किसी को भटकना है सामना उनसे अगर हो भी गया तो क्या हो गया माना की ज़ख्म अभी अभी तो भरा था मेरा उसके मिलने से हरा हो भी गया […]
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April 12, 2018.Reading time 1 minute.
जीवन जीना हो तो कुछ तो खोना ही पड़ेगा, चाह कर भी किसी को खोना ही पड़ेगा, मिलना ना मिलना तो तकदीर का खेल है। अपनी तक़दीर ही समझ कर खुद को समझना ही पड़ेगा। कुछ तो कमी रही है जो ये सजा मिली है। दिल मे हा है और ना चाहते हुए भी हमे […]
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April 9, 2018.Reading time 3 minutes.
नहीं होता है एहसास किसी को किसी के दिल के दर्द का क्यों करता है ग़ुनाह की किसी के दिल को दुखाने का क्यूँ ये दर्द इतना इतना गहरा है फिर भी इसमें ना कोई पहरा है मैंने तो मौत को करीब से देखा है फिर भी वक़्त मेरे इंतज़ार में ठहरा है क्यों नहीं […]
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February 28, 2018.Reading time 1 minute.
गम-ए-महफ़िल मे रुतबा हमारा और था आशिकों की भीड़ मे रुतबा हमारा और था फख्त हर वक्त आरजु उनकी बस दिल्लगी थी कैसे समझाते ‘साहिल’, लिये तिरे जज्बा हमारा और था। यू तो कई शख्सियते,शहर मे रूबरू थी कुछ ख्वाहिशे तो,कुछ को पाने की आरजु थी हर दफ़ा किसी बहाने नजरे चुरा ही लेते हम […]
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