दिल के सबसे पास, सबसे खास हो तुम
मेरे जीने का, मरने का हर एहसास हो तुम
मेरे सूखे वीरान जीवन की पहली बरसात हो तुम
जो पानी से भी न बुझ पाए ऐसे कुएँ की प्यास हो तुम
कोई तुमको कुछ भी कहे, मेरे लिए खुद खुदा पास हो तुम
तुम दिखो तो दिन चढ़े, तुम रुको तो दिन ढले
तुम हंसो तो चाँद खिले, तुम उदास तो अमावस की रात
तुम मिलो तो झरनों का संगम
हम बिछडें तो हो जाये संग्राम
मेरे शब्दों के छोटे से दायरे में जो न समां पाए
वो खुदा की कायनात हो तुम
-अनुष्का सूरी
तेरा हुआ ज़िक्र तो हम तेरे सजदे में झुक गये ,,अब क्या फर्क पड़ता है मंदिर में झुक गये या मस्जिद में झुक गये !!!
Anushka u r really good
Thank you
so nice
Na jaana kyo abhi aapki yad aa gai,
Mosam kya badala barasat as gai.
Chukar dekha bundo ko,
Had bund main aapki surat nazar aa gai
It’s awesome ,tremendous, at last but not least, too good
Beautiful poem’s…..