उठा लेखनी आज कुछ ऐसा काम कर रहा हूँ,
कुछ छन्द, हे जीवनसंगिनी ! तेरे नाम कर रहा हूँ ।
ऋतुओं में सबसे ऊपर ऋतुराज हो तुम,
कल और आज में, मेरा आज हो तुम।
पल-पल मेरा कितना ख्याल रखती हो,
संग-संग मात-पिता और बेटी की संभाल रखती हो।
लौट कर ना आऊं तो करती हो मेरा इंतज़ार,
ज़रा सी देर लगे तो, हाय ! वो आंसुओं की बौछार ।
तीज-त्यौहार-रस्म और सारे व्रत निभाती हो,
सब रिश्ते-नातों में, सुख-दुःख की तुम सच्ची साथी हो।
कवि ‘राज़’ लिख रहा हूँ ‘दीवाना’ खुद को,
वाह! क्या शौहर पाया है, ये कहेगा जमाना तुझको।
-राज़ सोरखी “दीवाना कवि”
Utha lakhani aaj kuch esa kam kar rha hoon
Kuch chhand, hei jivansangani tere nam kar rha hoon
Rituon me sabse upar rituraz ho tum
Kal aur aaj mein mera aaj ho tum
Pal pal mera kitna khyal rkhti ho
Sang sang maat pita aur beti ki sambhal rakhti ho
Laut kar na aau to krti ho mera intezar
Zra si deir lge to wo aansuon ki bochhar
Teez tyohar-rasam aur sare vrat nibhati ho
Sab rishte naton mein sukh dukh ki tum suchi sathi ho
Kavi raz likh rha hoon diwana khud ko
Waah kya shohar paya hai ye khega jmana tujhko
-Raj sorkhi”diwana kavi”
very very sweet lines.
उठा लेखनी आज कुछ ऐसा काम कर रहा हूँ,
कुछ छन्द, हे जीवनसंगिनी ! तेरे नाम कर रहा हूँ ।
ऋतुओं में सबसे ऊपर ऋतुराज हो तुम,
कल और आज में, मेरा आज हो तुम।
पल-पल मेरा कितना ख्याल रखती हो,
संग-संग मात-पिता और बेटी की संभाल रखती हो।
लौट कर ना आऊ
उठा लेखनी आज कुछ ऐसा काम कर रहा हूँ,
कुछ छन्द, हे जीवनसंगिनी ! तेरे नाम कर रहा हूँ ।
ऋतुओं में सबसे ऊपर ऋतुराज हो तुम,
कल और आज में, मेरा आज हो तुम।
पल-पल मेरा कितना ख्याल रखती हो,
संग-संग मात-पिता और बेटी की संभाल रखती हो।
लौट कर ना आऊं तो करती हो मेरा इंतज़ार,
ज़रा सी देर लगे तो, हाय ! वो आंसुओं की बौछार ।
तीज-त्यौहार-रस्म और सारे व्रत निभाती हो,
सब रिश्ते-नातों में, सुख-दुःख की तुम सच्ची साथी हो।
कवि ‘राज़’ लिख रहा हूँ ‘दीवाना’ खुद को,
वाह! क्या शौहर पाया है, ये कहेगा जमाना तुझको।
-Mohd sohail…………….. “दीवाना कवि”
Very sweet
So beautiful Poem