माही मेरे इश्क़ को ना समझे मेरा यार,
गहरा बहुत है दिल मे मेरे आज तेरा प्यार,
तुझमे ही मैं खोई रहती,तुझको ही मैं सोचती,
सारी दुनिया बोलती जोगन बनी मैं यार,
मेरे दिल की सबने जानी पर वो वाबरा अंजान है,
वही कुछ नहीं जनता जिसे करूँ मैं प्यार,
जिसको सोचके हँसती हूँ,जिसमें ही मैं खोती हूँ,
जिसमे जीवन के रंग सजे,बस बना रहा वही मेरे इश्क़ से अंजान,
सच कहा है दुनिया ने जोगन तेरे इश्क़ को ना समझे तेरा यार,
करती है तू कितना उसको अपने दिल से प्यार,
बस बना रहा वही वाबरा इश्क़ से अंजान,तेरे इश्क़ से अंजान।
– गौरव