तेरे इश्क़ के रंगो से सजी हुई है ये होली
ये रंग गुलाबी कहता है खिली खिली है ये होली
एक रंग जिस्म को छूता है एक रंग रूह को छूता है
हर रंग रंग में खिली हुई है घुली हुई है ये होली
कुछ रंग इश्क़ के चढ़ जाते कुछ रंग दीवाने मिल जाते
इन दिल छूते लम्हों से ही तो सजी हुई है ये होली
फाल्गुन के इस मौसम में सजे सजे से लम्हों में
लाल गुलाबी नीले पीले हरे रंग में सजी धजी है ये होली।
-गौरव