रंगो का कोई रंग चढ़ा
इश्क़ रंग मुझे आज चढ़ा
धूप हुई गुलाबी सी
फाल्गुनी छठा में मैं घुला
रंगो का कोई रंग चढ़ा
होली के सब रंग मिले
तुझमें ही तो तो सब घुले
इश्क़ में सजा गुलाबी था
मोहबत सा रंग लाल लगा
पीला तो मुस्कान बना
हरे में तू खूब सजा
रंगो का कोई रंग चढ़ा
अभीर गुलाल से तू सज के आई
रंग कई खुशियों के लायी
खेल मेरे संग प्यार की होली
बिखरा इश्क़ का हर रंग लगा
रंगो का कोई रंग चढ़ा।संग तेरे मैं संग रंगा
खिला खिला हर रंग खिला
सारे रंग फिर छूट गए
पर इश्क़ रंग जो न मिट पाये ऐसा कोई मुझे रंग लगा
रंगो का कोई रंग चढ़ा।
~ गौरव