क्या कसूर था हमारा
जो हम इस कदर तनहा हो गए
कल जिन्होंने दिल से चाहा था हमें
आज वही बेवफा हो गए
यूँ तो तमन्नायें थी हज़ारों
मगर ज़िन्दगी से ठुकराये गए
हज़ारों हो जाएं चाहने वाले
पर जिसकी दिल में हुकूमत हो
ऐसा कौन मिलेगा
कभी भूले से याद ए हम
तो पलट के देखना
हमें वहीँ पाओगे
जहाँ कल तुमने साथ छोड़ा था
तुम्हारा रोज़ इंतज़ार करते हैं
तुमको बहुत प्यार करते हैं
दिल की आरज़ू है
तुम जहाँ भी रहो
हमसे गिले शिकवे न हों
चलते हैं हम इस दुनिया से
अपना ख्याल रखना
कभी भूले भटके
हमारा नाम ले लेना
-संगीता श्रीवास्तव
Very nice poem
nice
Super
superb