कोई क्यों हमें इतना दर्द दे जाता है
कि इंसान खुदसे अजनबी हो जाता है
हज़ारों चहरे हैं इस दुनिया में
फिर भी एक चेहरे की तलाश क्यों रहती है
क्या दर्द का रिश्ता इतना गहरा होता है
कि ज़िन्दगी खुद एक शिकायत बन जाये
कैसे जिएंगे अब उसके बिन
जिससे दूर कभी रहे नहीं
एक बार मुड़ के तो देख लिया होता
न आँखों में कितने आंसू थे
ये एहसास तो लिया होता
चलो हम ही बेवफा सही
हम तो कल भी बदनाम थे
आज भी हो गए तो क्या नया हुआ
यूँ तो दिलों के बाजार में हज़ारों रिश्ते बिकते हैं
दर्द का रिश्ता अगर बिक जाये
तो ताउम्र दिल से तेरा नाम हो जाये
-संगीता श्रीवास्तव
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