उन यादों से तुम कह दो
यूँ रोज ना आया करें
जब पास ना हो हमदम
तब यूँ ना सताया करें
पर वो भी है ज़िद की पक्की
बेवक़्त सताती हैं
जब पास ना हो दिलबर
तब आंसू लाती हैं
शाम सवेरे इस दिल में
बस तू ही समाती है
नैनों में छुप छुप के
सपनो में आती है
कल यारो ने पूछा
क्या रोग लगाया है
मैंने भी हंस के बोला
इश्क़ का जोग लगाया है
तस्वीर तेरी दिलबर
अब सीने में रहती है
साँसे चलती हैँ मेरी
धड़कन तुझ में बसती है
क्या क्या मैं बन जाऊं
इश्क़ का जोग लगाया है
कभी लिखूँ कुछ कविता तुझपे
कभी तस्वीर बनाऊँ
नहीँ जानता रब कैसा है
बस तुझको ही तो जाना
दिलबर तेरी पूजा की
तुझको ख़ुदा है माना
तुझमें ही रब जाना
-गौरव
Dude good poem I love it …
Keep writing😊😊😊😊