तेरे दीदार नु तरसन मांही वे अखां मेरी…
तेरी याद विच न कटदियां एह रातां मेरी…
वे कमलिये कुछ तां खबर मेरी तू लै लै आ के…
देख राँझा तेरा हुन किवें तरसे ते अखियाँ चौ मींह बरसावे…
उस्दी याद विच मैं आज वी मुड़ मुड़ पीछे वेखां…
पर लभदा नहीं मैनु हुन ग्वाच्या यार वे रब्बा…
हुन तां रब्बा मैनु मेरी हीर मिला दे…
थक गईयाँ ने अखियाँ वी हुन अथ्रूआ दा मींह वरसा के…
हुन मुक चल्या वे अखां दा पानी वी सजना…
लभदा नी मैनु हुन कोई राह वी सजना…
बस इक वार आ के मेरा हाल तू पुछला…
देख मेरियां अखां नू तू भूल जावेंगी मुड़ना…
तू होनी हस्दी बैठ हुन पेकयां कोले…
ते इथे मैं हुन चंद्रा तेरी उडीक च तरसां…
हुन आ जा मांही दीद तेरी ने बहुत सताया…
थक गया हुन मैं रब तोँ वी मंग मंग दुआवां…
आजा कोल मेरे ते नाल मेरे तू लै लै लांवा…
या फेर कह दे भुल जा मैनू रान्झेया हुन मैं मुड़ नहीं आणा…
-अनूप भंडारी
“मैं और मेरी तन्हाई”
मैं और मेरी तन्हाई बैठे थे आज…
और हो रही थी मेरे प्यार की बात…
तन्हाई ने कहा कैसा प्यार है तेरा…
जो आज तक है उसने मुंह फेरा…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा क्या मिला तुझे प्यार में…
इस से अच्छा बैठा होता कही ऐशो बहारो में…
तन्हाई बोली क्या है अब पास में तेरे…
छा गए हैं बादल और गमों के अँधेरे…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा की प्यार में बहुत फरेब है धोखा है…
जा कुछ और कर प्यार के अलावा तुझे क्या किसी ने रोक है…
तन्हाई ने कहा क्या है ये प्यार का अजूबा…
जा न यार के वापिस आने की उम्मीद में मत रह डूबा…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा तेरा बिछड़ा यार नहीं आएगा…
मुझे लगता है तू कभी अपना प्यार नहीं पायेगा…
तन्हाई बोली अरे मूर्ख कुछ तो बोल…
मई इतनी देर से बक बक कर रही हूँ तू भी तो अपना मुंह खोल…
मैंने कहा बता कहाँ लिखा है की वो नहीं आएगी…
और अपने साथ प्यार की सौगात नहीं लाएगी…
कौन सी ऐसी दिवार है हमारे बीच जो खड़ी हो सकें…
ऐसी कोई दिवार नहीं बनी जिसकी नीव डलते ही हम उसे तोड़ न सकें…
कौन कहता है की उसका प्यार हो गया है पूरा…
क्यूंकि प्यार तो खुद शब्द ही ऐसा है जिसका पहला अक्षर है अधूरा…
कौन कहता है की प्यार सिर्फ दो जिस्मो का मिलान है…
मन वो मुझसे दूर है पर फिर भी मई उसका और वो मेरी हमदम है…
अब बोल रहा था मई और चुप थी तन्हाई….
तभी सामने आई मेरी जान और भाग गयी तन्हाई…
sorry the above poem has some alteration to be made here is it with all the spelling mistakes removed…
“मैं और मेरी तन्हाई”
मैं और मेरी तन्हाई बैठे थे आज…
और हो रही थी मेरे प्यार की बात…
तन्हाई ने कहा कैसा प्यार है तेरा…
जो आज तक है उसने मुंह फेरा…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा क्या मिला तुझे प्यार में…
इस से अच्छा बैठा होता कही ऐशो बहारो में…
तन्हाई बोली क्या है अब पास में तेरे…
छा गए हैं बादल और गमों के अँधेरे…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा की प्यार में बहुत फरेब है धोखा है…
जा कुछ और कर प्यार के अलावा तुझे क्या किसी ने रोका है…
तन्हाई ने कहा क्या है ये प्यार का अजूबा…
जा, यार के वापिस आने की उम्मीद में मत रह डूबा…
मैं था चुप और इस से तन्हाई थी हैरान…
मैं था शांत और इस से तन्हाई थी परेशान…
तन्हाई ने कहा तेरा बिछड़ा यार नहीं आएगा…
मुझे लगता है तू कभी अपना प्यार नहीं पायेगा…
तन्हाई बोली अरे मूर्ख कुछ तो बोल…
मई इतनी देर से बक बक कर रही हूँ तू भी तो अपना मुंह खोल…
मैंने कहा बता कहाँ लिखा है की वो नहीं आएगी…
और अपने साथ प्यार की सौगात नहीं लाएगी…
कौन सी ऐसी दिवार है हमारे बीच जो खड़ी हो सकें…
ऐसी कोई दिवार नहीं बनी जिसकी नीव डलते ही हम उसे तोड़ न सकें…
कौन कहता है की उसका प्यार हो गया है पूरा…
क्यूंकि “प्यार” तो खुद शब्द ही ऐसा है जिसका पहला अक्षर है अधूरा…
कौन कहता है की प्यार सिर्फ दो जिस्मो का मिलान है…
माना वो मुझसे दूर है पर फिर भी मैं उसका और वो मेरी हमदम है…
अब बोल रहा था मई और चुप थी तन्हाई….
तभी सामने आई मेरी जान और भाग गयी तन्हाई…
Your poem has been published.
I sent a poem in comments over this poem but not posted is there any problem with that poem 😊
here is another one 🙂 hope you like it and it will be worth publishing…
Poem – यादें
सजना तेरी यादें आज भी साथ हैं मेरे…
बस दुख इस बात का है की खाली हाथ हैं मेरे…
बहुत हुए दिन हमें बिछड़े हुए…
अब तो वापिस आजा ऐ साजन मेरे…
रो रो कर अब तो आँखों का पानी भी सूख गया हैं…
लगता है अब तो मेरा मौला भी मुझसे रूठ गया हैं…
याद तेरी में तड़प तड़प अब बीतें रातें…
आजा “सपना” सपने में ही कर ले मुलाकातें…
बहुत हुई दूरी अब तो मिल जा आ कर…
आँखें भी अब नम नहीं होती सूख गयीं हैं वो भी आंसू बहा बहा कर…
दर्द जुदाई का अब मुझसे सहा ना जाए…
तू भी आजा अब तो पंछी भी घर को लौट हैं आए…
यादें तेरी आज भी हैं मेरे सीने में…
पर मज़ा नहीं है कुछ भी बिना तेरे जीने में…
Thanks for posting my poem
Hi ,
Ms anushka I like your poetry, actually I m a composer not known , I want few songs for my album I have completed 2 songs , if you get agree to write for me then I can tell you what kind of romantic songs I m looking for by showing you my 2 songs which I have done.thnx
waiting for positive reply
Regards