ये कभी सोचा ना था
दर्द के दरिया में अकेले
डूबना चाहा ना था
कौन कहता बसर है
दिल की चाहत में खुदा
हमने जिसको चाहा था दिल से
वो ही निकला बेवफ़ा
वही गलियां वही राहें
वही सूनी सूनी निगाहें
क्या पता दिल का किसी को
कब बेगाना हो जाएगा
दिल की चाहत है मेरी
तुझको भी ना आये सुकून
क्या पता किस दिन
ये तडप तू पायेगा
-अनुष्का सूरी
nice