हंसते हैं तो दिखते हैं बहुत हंसा करते हैं,
गम को तो ऐसे छुपाते हैं जैसे मुट्ठी में खुशियों को दबाते हैं,
करते हैं हर वक़्त काम हर बात भुला के,
पर दिल जनता है हर काम के बहाने अपने आप को भुलाते हैं,
वक़्त बीत जाता है शाम चली आती है,
अपने साथ ग़मों की रात भी ले आती है,
क्या कहना जो दिन भर दिखते थे मज़बूती की दीवार
रातों को खुद वो मोम की तरह पिघल जाते हैं,
जितने भी आंसू जो दिन भर छुपाते हैं
वो सब रात में उड़ल जाते हैं,
रहती है तो बस खामोशियां और ये आंसू,
जो तेरी याद हर पल दिलाते हैं,
हर रात कितना मुझे रूलाते हैं,
कितना कमज़ोर हून मैं ये तो रात की तनहाइयों में बयाँ होता है,
बीत जाती है रात तेरी याद में सुबह का आगाज़ होने लगता है,
फिर होते ही सुबह वही मज़बूती का नक़ाब इस चहरे पे सजा होता है,
जो रात की कमज़ोरियों को दिन में छुपा जाता है.
-गौरव
Ishq karna to ragta hai jese mot se bhi badi ek saja hai kya kisi se sikaya kare hum jaab apni taqdeel hi bewafa hai