मैं तेरे चहरे को पढ़ना चाहता हूँ किताब की तरह
तेरे साथ बीते हुए हर लम्हे को पिरोना चाहता हूँ ख्वाब की तरह
मैं जानता हूँ नहीं मिल सकता हूँ तुमको हर रोज़..
इसलिये ख्वाबों में आके गले लगाना चाहता हूँ मीठे एहसास की तरह.
गले मिलता हूँ जब मैं तो आँखें मेरी नॅम हो जाती हैं
भीगी हुई पलकों से लिपट के रोना चाहता हूँ तेरी याद की तरह..
चंद पल जब रह जाते हैं सवेरा होने में..जी भर के रोना चाहता हूँ
एक बार गले लगा लेना चाहता हूँ इस रात के खूबसूरत एहसास की तरह
–गौरव
Awesome poem Veera….
Thanks
M so touched..seriously muje bht acchi lagii..:)
nice poems