तेरे लिये ही सजती हूँ सँवरती हूँ
होती हूँ मैं अच्छे से तैयार
कभी तो फुरसत से
मुझको भी तू ले निहार
ये मेरे माथे की बिंदिया
हाथों की मेरी चूडियाँ
तुझको पुकारती हैं सजना
आजा अब कैसी मजबूरियाँ
– अनुष्का सूरी
Hindi Love Poems| प्रेम कविता |Romantic Poems|Prem Kavita
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तेरे लिये ही सजती हूँ सँवरती हूँ
होती हूँ मैं अच्छे से तैयार
कभी तो फुरसत से
मुझको भी तू ले निहार
ये मेरे माथे की बिंदिया
हाथों की मेरी चूडियाँ
तुझको पुकारती हैं सजना
आजा अब कैसी मजबूरियाँ
– अनुष्का सूरी
बुझे-बुझे रहते मियां हो,हरदम उसके ख्यालों में। संग मेरे आज चलो तुम,चमन की बहारों में। हर कली आदाब करेगी,हंस के चिलमन हटाएगी। आप के स्वागत में कलियां,गजलें मुहब्बत गाएंगी। आप तो हसीन लगते, हुस्न की फिजाओं में।
atisundar