फूलों से क्या मैं कह दूँ कि अब खिलना छोड़ दो
क्यों मुझसे तुम कहती हो मुझसे मिलना छोड़ दो
तुम्हारी मीठी बातें दिल को देती हैं मेरे सुकून
तुमको मैं क्या बताऊँ इश्क़ का मुझ पर है कैसा जुनून
लम्बी हैं रातें और छोटे नहीं है दिन
तुम बिन तुम बिन तुम बिन
अब आ भी जाओ मत लो मेरे सबर का इम्तिहान
तुम्हारे इश्क़ में कर दूं मैं खुद को कुर्बान